इस विवाद को समझने के लिए देखें "अब मीनार पर तकरार"
इस्लाम की सबसे बडी खूबी यही है कि विरोध से इसका रंग अधिक निखरकर सामने आता है। नफरत से भी जो इसका अध्ययण करता है वह उसको अपना बना लेता है। जितना इसका विरोद्ध किया जाए उतनी ही शक्ति से इस्लाम उभरकर सामने आता है।
आज युरोप में इस्लाम बहुत तेजी से फैल रहा है जिन इलाकों में जितनी कडाई से इस्लाम के विरूद्ध प्रोपगेंण्डा होरहा है वहां उतनी ही तेजी से इस्लाम कबूल किया जा रहा है।
युरोप में सभी जानना चाहते हैं कि इस्लाम को आतंक के साथ क्यूँ जोडा जाता है फिर वह अध्ययण करते हैं ऐसा ही इस नेता के साथ हुआ । डेनियल स्टेच मीनारों के विरोध और इस्लाम दुशमनी में कुरआन मजीद का अध्ययण किया जिससे इस्लाम को समझ सके। तब उसके दिमाग में केवल इस्लाम धर्म में कीडे निकालना था। वह इस्लाम में मीनारों की हकीकत भी जानना चाहता था ताकि मीनार मुखलिफ आन्दोलन में शक्ति डाल सके और मुसलमानों और मीनारों से होने वाले खतरों से स्वीटजर्लेंड की जन्ता का खबरदार कर सके लेकिन हुआ इसका उल्टा। जैसे-जैसे वह कुरआन और इस्लामी शिक्षाओं का अध्ययण करता गया, वह उसके दिल और दिमाग पर छाते गये। उसके दिल और दिमाग से गुनाह और बुत-परस्ती की तह हटती गयी। न उसे तीन खुदाओं पर विश्वास न रहा।
डेनियल स्टेच का कहना है कि वह पहले पाबन्दी से बाईबिल पढा करता था और चर्च जाया करता था लेकिन अब वह कुरआन पढता है और पांचों समय की नमाज अदा करता है। उसे इस्लाम में जिन्दगी के तमाम सवालात का जवाब मिल गया जो वह ईसाइयत में कभी नहीं पा सकता था। वह जो सुन्दर मस्जिद युरोप में बनाना चाहते हैं उसके लिए कुछ दौलतमन्दों ने उनकी साहयता करने का वचन दिया है लेकिन साथ ही यही भी कह दिया कि इस्लाम की महानता के लिए मीनारों और गुम्बदों के सहारे की आवश्यकता नहीं है। मुल्क का कानून मीनारों पर ही पाबन्दी लगा सकता है दिल और दिमाग पर नहीं।
more detail ''Member of the Swiss Political Party that Pushed for Minaret Ban Converts to Islam''
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सुब्हान अल्लाह