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आओ उस बात की तरफ़ जो हममे और तुममे एक जैसी है और वो ये कि हम सिर्फ़ एक रब की इबादत करें- क़ुरआन
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ईसाई पादरी इस्लाम की शरण में

Written By इस्लामिक वेबदुनिया on गुरुवार, 1 अगस्त 2013 | गुरुवार, अगस्त 01, 2013

आज इस्लाम कुबूल करने वालों में एक बड़ी तादाद ईसाई पादरियों और धर्मप्रचारकों की है। गौर करने वाली बात है कि ईसाईयत में गहरी पकड़ रखने वाले ये ईसाई धर्मगुरु आखिर इस्लाम अपनाकर मुसलमान क्यों बन गए? 'पादरियों ने  अपनाया इस्लाम' किताब में दुनिया के सात देशों के ग्यारह ईसाई पादरियों और धर्मप्रचारकों की इस्लाम अपनाने की दास्तानें हैं। आज जहां इस्लाम को लेकर दुनियाभर में गलतफहमियां हैं और फैलाई जा रही हैं, ऐसे में यह किताब मैसेज देती है कि इस्लाम वैसा नहीं है जैसा उसका दुष्प्रचार किया जा रहा है। पुस्तक पढऩे पर आपको मालूम होगा कि ये ईसाई पादरी अपने धर्म के प्रचार में जुटे थे और इनमें से कई तो ऐसे थे जो मुसलमानों को ईसाईयत की तरफ दावत दे रहे थे। लेकिन इस्लाम के रूप में जब सच्चाई इनके सामने आई तो इन्होंने इसे अपना लिया।   ईसाई धर्मज्ञाताओं का इस्लाम को गले लगाने के बारे में कुरआन चौदह सौ साल पहले ही उल्लेख कर चुका है। गौर कीजिए कुरआन की इन आयतों पर -
तुम ईमान वालों का दुश्मन सब लोगों से बढकर यहूदियों और मुशरिकों को पाओगे और ईमान वालों के लिए मित्रता में सबसे निकट उन लोगों को पाओगे जिन्होंने कहा कि -हम ईसाई हैं।  यह इस कारण कि ईसाईयों में बहुत से धर्मज्ञाता और संसार त्यागी संत पाए जाते हैं। और इस कारण कि वे अहंकार नहीं करते। जब वे उसे सुनते हैं जो रसूल पर अवतरित हुआ है तो तुम देखते हो कि उनकी आखें आंसुओं से छलकने लगती हैं । इसका कारण यह है कि उन्होंने सच्चाई को पहचान लिया है।  वे कहते हैं-हमारे रब, हम ईमान ले आए। इसलिए तू हमारा नाम गवाही देने वालों में लिख ले। 
                                                               (5 : 82-83)

यहां पेश हैं किताब के कुछ अंश-
1 ब्रिटेन के अन्य लोगों की तरह पहले मुसलमानों को लेकर मेरा भी यही नजरिया था कि मुसलमान आत्मघाती हमलावर, आतंकवादी और लड़ाकू होते हैं। दरअसल ब्रिटिश मीडिया मुसलमानों की ऐसी ही तस्वीर पेश करता है। इस वजह से मेरी सोच बनी हुई थी कि इस्लाम तो उपद्रवी मजहब है। काहिरा में मुझो एहसास हुआ कि इस्लाम तो बहुत ही  खूबसूरत धर्म है-  
                        इदरीस तौफीक-इंग्लैण्ड-पूर्व कैथोलिक ईसाई    पादरी- पेज नं-28

2 वे कट्टर ईसाई थीं। लेकिन जब इस्लाम का अध्ययन किया और इस्लाम के रूप में सच्चाई सामने आई तो इसे अपना लिया।
  पूर्व पादरी, मिशनरी, प्रोफेसर और धर्मशास्त्र में मास्टर डिग्री धारक खदीजा स्यू वाट्सन की जुबानी कि वे किस तरह इस्लाम की आगोश में आईं।  पेज नं-36
3 इब्राहिम खलील अहमद जिनका पुराना नाम खलील फिलोबस था, पहले इजिप्ट के कॉप्टिक पादरी थे। फिलोबस ने धर्मशास्त्र में एम. ए. किया। इस्लाम को गलत रूप में पेश करने के मकसद से फिलोबस ने इसका अध्ययन किया। वे इस्लाम में कमियां ढूढऩा चाहते थे लेकिन हुआ इसका उलटा। वे इस्लाम से बेहद प्रभावित हुए और उन्होंने अपने चार बच्चों के साथ इस्लाम कबूल कर लिया। पेज नं-44
4 मैंने चर्च से इस्तीफा दे दिया और अल्लाह का शुक्र है कि मैं तभी से मुसलमान हूं। इस्लाम कुबूल करने के साथ ही  मेरी जिंदगी में अच्छे बदलाव आए।
                                          -जेसॉन क्रुज, अमेरिका-
पेज नं-54
5 मुझे इस बात पर आश्चर्य होता कि ईसाईयत, इस्लाम, यहूदी, बोद्ध और अन्य दूसरे धर्म, हर एक का दावा है कि उनका धर्म ही सच्चा धर्म है। आखिर सच्चाई क्या है? कौनसा धर्म सत्य है? मैं सच को तलाशना चाहता था.       - मार्टिन जॉन वेपॉपो-पूर्व प्रधान पादरी-तंजानिया
पूरी किताब पढऩे के लिए यहां क्लिक करें 
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