हमारी धरती तरह तरह के जीवों से भरी हुई है। यहाँ अगर प्रोटोजोआ जैसे सरल संरचना वाले जीव हैं तो इंसान जैसे बुद्धिमान प्राणी भी मौजूद हैं। हम यह भी जानते हैं कि पृथ्वी हमारे सौरमंडल का एक छोटा सा ग्रह है। जो अपने सूर्य के गिर्द चक्कर लगा रही है। ब्रह्माण्ड में सूर्य जैसे अरबों तारे मौजूद हैं और उनके चारों तरफ चक्कर लगाते पृथ्वी जैसे ग्रह भी मौजूद हैं। तो फिर यह बात नामुमकिन नहीं कि वहाँ पर पृथ्वी की तरह जीव जंतु भी मौजूद होने चाहिए। और शायद मनुष्य जैसे बुद्धिमान प्राणी भी।
साइंस इस संभावना से इंकार नहीं करती लेकिन ये भी हकीकत है कि अभी तक वह पृथ्वी से इतर कहीं जीवन की खोज नहीं कर पायी है। अब आईए देखते हैं मज़हब यानि कि इस्लाम इस बारे में क्या कहता है:
हर नमाज़ में पढ़ी जाने वाली सूरे फातिहा की शुरुआत ही इस तरह हो रही है, ‘तमाम तारीफें उस अल्लाह के लिये जो तमाम आलमों (दुनियाओं) का रब है।’ यानि हमारी धरती के अलावा बहुत सी दुनियाएं हैं।
आज से ग्यारह सौ साल पहले एक महान इस्लामी विद्धान हुए हैं, जिनका नाम शेख सुद्दूक(र-) है। बगदाद के निवासी शेख सुद्दूक (र-) ने तीन सौ से ज्यादा किताबें लिखीं इन किताबों में पैगम्बर मोहम्मद (स-अ-) की अनेक हदीसें व इमामों के क़ौल दर्ज हैं। इन्हीं में से एक किताब है ‘अल तौहीद’ जिसमें तौहीद यानि अल्लाह के बारे में गुफ्तगू है और उसकी कायनात के बारे में ज़िक्र है। यहाँ मैं उस किताब से कुछ ऐसी बातें आपके सामने पेश कर रहा हूं जो आज की साइंस के अनसुलझे सवालों के जवाब दे रही हैं। और ये भी साबित कर रही हैं कि आज भी इस्लामी इल्म साइंस से आगे है।
1- इमाम मोहम्मद बाकिर (अ-स-) इमाम हुसैन (अ-स-) के पोते थे। अपने एक सहाबी से बात करते हुए उन्होंने कुरआन की इस आयत ‘‘तो क्या हम पहली बार खल्क़ करके थक गये हैं, बल्कि ये लोग नयी तखलीक के बारे में शक में मुब्तला हैं।’’(सूरे क़ाफ, आयत 15) की तफ्सीर में बताया कि अल्लाह जब इस दुनिया को खत्म कर देगा और जन्नत वाले जन्नत में व जहन्नुम वाले जहन्नुम में चले जायेंगे तो अल्लाह इस दुनिया की बजाय एक नयी दुनिया बनायेगा और नयी मख्लूक पैदा करेगा जिनमें नर व मादा नहीं होंगे और ये लोग उसकी तौहीद के कायल होंगे। अल्लाह उनके लिये इस ज़मीन के अलावा एक ज़मीन पैदा करेगा जो उन का भार उठायेगी। और इस आसमान के अलावा एक आसमान पैदा करेगा जो उनपर सायाफिगन होगा।
शायद तुम्हारा ख्याल ये हो कि अल्लाह ने यही एक दुनिया पैदा की है और ये भी तुम्हारे ज़हन में हो कि अल्लाह ने तुम्हारे अलावा कोई और इंसान पैदा नहीं किया। हाँ खुदा की क़सम अल्लाह ने दस लाख दुनियाएं और दस लाख आदम पैदा किये। तो तुम इन दुनियाओं के आखिर में हो और तुम सब आदमी हो।
यानि इस्लाम ये पूरी तरह कनफर्म कर रहा है कि हमारी पृथ्वी के अलावा और भी दुनियाएं हैं जहाँ हमारे ही जैसे इंसान रहते हैं और वे सब तरक्की में हम से कहीं आगे हैं। यानि तरक्की में हमारी ज़मीन ही के इंसान सबसे ज्यादा पिछड़े हुए हैं।
ज्ञात रहे कि शेख सुद्दूक (र-) कापरनिकस से छह सौ साल पहले पैदा हुए थे। कापरनिकस के ज़माने तक दुनिया यही समझ रही थी कि हमारी ध्राती ही ब्रह्माण्ड का केन्द्र है और सूर्य तथा दूसरे आकाशीय पिंड धरती के गिर्द चक्कर लगाते रहते हैं। ऐसे में शेख सुद्दूक (र-) की उपरोक्त बातें बता रही हैं कि इस्लामी विद्वान दुनिया से सैंकड़ों साल आगे थे।
2- क्या पानी पृथ्वी के बाहर मौजूद है?
इमाम जाफर अल सादिक(अ-स-) ने फरमाया कि पैगम्बर मोहम्मद(स-अ-) की एक हदीस के मुताबिक तमाम आसमानों में समुन्द्र यानि पानी के विशाल ज़खीरे मौजूद हैं। हर ज़खीरे की गहराई कम से कम पाँच सौ सालों की यात्रा के बराबर है।
अभी साइंस ये तय नहीं कर पायी है कि चाँद पर पानी मौजूद है या नहीं। लेकिन इस्लाम कनफर्म रूप से कह रहा है कि ब्रह्माण्ड में पानी के विशाल भंडार मौजूद हैं। ये भंडार सितारों से भी ज्यादा विशाल हैं क्योंकि इन्हें पार करने के लिये सैंकड़ों साल का वक्त चाहिए। साइंस कि नई खोजें ब्रह्माण्ड में पानी के ज़खीरों की संभावना बता रही हैं.
इस तरह हज़ार साल पहले जन्मे इस्लामी विद्वान शेख सुद्दूक (र-) रसूल की हदीसों व इमामों के कौल के जरिये वो बातें बता रहे हैं जो आज की साइंस के लिये अभी भी एक पहेली हैं।
अब एक बार फिर हम वापस आते हैं कुरआन पर। कुरआन की ये आयतें भी हमारी दुनिया से अलग रहने वाले जानदारों की बात कर रही हैं।
42-29 और उसी की निशानियों में से सारे आसमान व ज़मीनों का पैदा करना और उन जानदारों का भी जो उसने आसमान व ज़मीन में फैला रखे हैं और जब चाहे उनके जमा कर लेने पर भी क़ादिर है।
17-44 सातों आसमान व ज़मीन और जो लोग इनमें हैं उसकी(अल्लाह की) तस्बीह करते हैं। और सारे जहान में कोई चीज़ ऐसी नहीं जो उसकी तस्बीह न करती हो मगर तुम लोग उसकी तस्बीह नहीं समझते। इसमें शक नहीं वह बड़ा बख्शने वाला है।
उस रब की बारगाह में शुक्र के हजारों सजदे!