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क्या बिग बैंग थ्योरी गलत है?

Written By zeashan haider zaidi on सोमवार, 31 मई 2010 | सोमवार, मई 31, 2010


बिग बैंग थ्योरी आज के ज़माने में यूनिवर्स क्रियेशन की सबसे मज़बूत थ्योरी है। इसके अनुसार दुनिया एक महाधमाके (बिग बैंग) से पैदा हुई और उस वक्त से मौजूदा जमाने तक यह लगातार फैल रही है। यह धमाका कितने वक्त पहले हुआ इस बारे में वैज्ञानिकों में अलग अलग राय है। कुछ के अनुसार ब्रह्माण्ड की कुल आयु 14 बिलियन वर्ष है तो कुछ के अनुसार 20 बिलियन वर्ष। शुरूआती यूनिवर्स बहुत ही सघन (Dense), और छोटे गोले के रूप में था। और अत्यन्त गर्म था। फिर एक महाधमाके (बिग बैंग) के साथ टाइम और स्पेस का जन्म हुआ। उस समय से आज तक यह लगातार फैल रहा है। 

बिग बैंग थ्योरी ‘रेड शिफ्ट’ और ‘कास्मिक वेव बैकग्राउण्ड’ जैसे सुबूतों के द्वारा सत्यापित होती है। रेड शिफ्ट बताती है कि यूनिवर्स लगातार फैल रहा है, और जब इस फैलाव का ग्राफ बैक साइड की तरफ बढ़ाया जाता है तो एक बिन्दु की तरफ मिलता हुआ दिखाई देता है। यही यूनिवर्स का शुरूआती बिन्दु है। ‘कास्मिक वेव बैकग्राउण्ड’, से पता चलता है कि यूनिवर्स का शुरूआती टेम्प्रेचर आज के यूनिवर्स से बहुत ज्य़ादा था। जो कि एक बिग बैंग का टेम्प्रेचर हो सकता है। बिग बैंग थ्योरी कास्मोलॉजिकल थ्योरी और आइंस्टीन की रिलेटीविटी थ्योरी पर भी खरी उतरती है।

ये तो बात हुई साइंस की। अब देखते हैं कि इस्लाम इस बारे में क्या कहता है।
आईए पहले गौर करते हैं कुरआन हकीम की कुछ आयतों पर

(6-101) वह (अल्लाह) सारे आसमान व जमीनों का बनाने वाला है।-----
(51-47) आसमान को हमने अपने जोर से बनाया है। और हम इसे विस्तार देकर फैलाते हैं।
(21-30) जो लोग काफिर हैं क्या वो इस पर गौर नहीं करते कि आसमान व ज़मीन दोनों आपस में मिले हुए थे और हमने उन्हें अलग किया। हमने ही जानदार को पानी से पैदा किया, इस पर भी ये लोग ईमान न लायेंगे।
(21-33) और वही वह (कादिरे मुतलक़) है जिसने रात व दिन और आफताब व महताब को पैदा किया कि सब के सब आसमान में तैरते हुए गर्दिश कर रहे हें।

कुरआन की इन आयतों की रौशनी में जो बातें साफ होती हैं, वह ये कि यूनिवर्स में हर चीज पहले एक दूसरे से मिली हुई थी। फिर सब कुछ एक दूसरे से अलग हुआ और तब से यूनिवर्स लगातार फैल रहा है। यूनिवर्स में कई आसमान हैं और कई ज़मीनें। इन आसमानों में जो कुछ भी है सब गर्दिश में है। कुछ भी रुका हुआ नहीं है। 

अब आप समझ सकते हैं कि बिग बैंग जैसी मौजूदा थ्योरीज कुरआनी हकीकतों के कितने करीब हैं। बिग बैंग और कुरआन दोनों ही बताते हैं कि शुरुआत में यूनिवर्स एक बिन्दु जैसी जगह में सिमटा हुआ था। फिर यूनिवर्स के हिस्से अलग अलग हुए और एक दूसरे से दूर हटने लगे। 

अब एक सवाल उठता है कि यूनिवर्स के स्टार और गैलेक्सीज किस चीज के जरिये खल्क हुए? इस बारे में साइंस कुछ खास नहीं बता पा रही है। हकीकत ये है कि साइंस सितारों के बनने की गुत्थी अभी तक सुलझा नहीं पायी है। न ही ये बता पायी है कि कायनात की खिलकत में बनने वाला पहला मैटर कौन सा था? लेकिन अगर हम कुरआन की ऊपर लिखी आयतों पर गौर करें तो समझ में आता है कि कायनात में बनने वाला पहला मैटर पानी था। क्योंकि आयत कह रही है,‘हमने ही जानदार को पानी से पैदा किया’।

लेकिन आयत तो सिर्फ जिन्दगी के बारे में कह रही है? तो इसका जवाब ये है कि भले ही साइंस कुछ ही चीजों को जिन्दा माने लेकिन खालिके कायनात की नजर में हर चीज जिन्दा है और उसकी इबादत कर रही है।
सबसे पहले खल्क होने वाला मैटर पानी था, इसके लिये एक और सुबूत हज़रत अली (अ-स-) का खुत्बा है जो उनकी किताब नहजुल बलागा में दर्ज है, इस खुत्बे में कहा गया है, ‘‘फिर ये कि उस ने (अल्लाह ने) कुशादा फिज़ा, वसीअ एतराफ व इकनाफ और ख़ला की वुसाअतें ख़ल्क कीं और उन में ऐसा पानी बहाया जिसके दरियाये मवाज़ की लहरें तूफानी और बहरे ज़खार की मौज़े तह ब तह थीं।’’ यानि स्पेस टाइम की खिलकत के बाद पहला बनने वाला मैटर पानी था।

अब एक सवाल और पैदा होता है, कि कायनात की खिलकत में वक्त कितना लगा? इस बारे में गौर करते हैं कुछ और आयतों पर,         

 (7-54) -----बेशक तुम्हारा परवरदिगार अल्लाह ही है जिसने 6 दिनों में आसमान व जमीन को पैदा किया। फिर अर्श को बनाने पर आमादा हुआ। वही रात को दिन का लिबास पहनाता है तो रात दिन को पीछे पीछे तेजी से ढूंढती फिरती है। और उसी ने आफताब व महताब और सितारों को पैदा किया कि ये सब के सब उसी के हुक्म के ताबेदार हैं।  
(10-4) इसमें तो शक ही नहीं कि तुम्हारा परवरदिगार वही अल्लाह है जिसने सारे आसमान व जमीन को 6 दिन में पैदा किया। फिर उसने अर्श को बलन्द किया------

पहली नजर में देखा जाये तो ये जुमले मौजूदा साइंस की बुनियाद पर खरे नहीं उतरते। कहाँ तो साइंस यूनिवर्स को बनने में अरबों खरबों सालों की बात कर रही है और कहां कुरआन सिर्फ छह दिनों की बात कर रहा है। लेकिन एक बात जो गौर करने वाली है वह यह कि हम अपना दिन गिनते हैं पृथ्वी के अपने अक्ष पर एक पूरे चक्कर से। जो कि चौबीस घंटे के बराबर होता है। ये घंटे भी हमारे खुद के बनाये हुए हैं। अब कायनात बनने की शुरुआत में हमारी जमीन का कहीं अता पता नहीं था। इसका मतलब कायनात बनने में 6 दिनों की जो बात हो रही है उसका मतलब कुछ और है। ये 6 दिन खिलकत की छह स्टेजें भी हो सकती हैं और इनका कोई और मतलब भी निकल सकता है। मिसाल के तौर पर इन आयतों पर गौर करें

(32-5) आसमान से जमीन तक के हर अम्र का वही मुदब्बिर व मुतजिम है। ये बन्दोबस्त उस दिन जिस की मकदार तुम्हारे शुमार से हजार बरस है उसकी बारगाह में पेश होगी। 
(70-4) जिसकी बारगाह में फ़रिश्ते व रूहें हाजिर होती हैं एक ऐसे दिन में जिसका अन्दाजा पचास हजार बरस है।

इस तरह यह साफ हो जाता है कि वक्त के गुजरने की रफ्तार अलग अलग हालात में अलग अलग है यही बात आज की साइंस भी कह रही है। कि वक्त के गुजरने की रफ्तार चीजों के चलने की रफ्तार और यूनिवर्स में उनकी पोजीशन से तय होती है। इस तरह कायनात की खिलकत में यकीनन एक लम्बा वक्फा गुजरा है।         

इस तरह से कुरआन और बिग बैंग थ्योरी काफी हद तक एक दूसरे से मैच कर रहे हैं। लेकिन इसमें कहीं कोई ऐसी बात भी है जो खटक रही है। मिसाल के तौर पर एक बड़े धमाके का होना। इसलिये क्योंकि मौजूदा दौर में कोई खिलक़त इस तरह नहीं हो रही है। 

हम गौर करते हैं एक और क़दीम इस्लामी दानिश्वर इमाम जाफर अल सादिक (अ-) की बात पर। इमाम जाफर सादिक (अ-) जो इमाम हुसैन (अ-) के पड़पोते थे, कहते हैं कि यूनिवर्स के पैदाइश एक छोटे पार्टिकिल (जर्रे) से हुई जिसके दो विपरीत ध्रुव (Opposite Poles) थे। यह ज़र्रा विखण्डित (Fragmented), हुआ और अपने जैसे और ज़र्रों की पैदाइश की। इस तरह धीरे धीरे यूनिवर्स का फैलाव हुआ। यानि यूनिवर्स का क्रियेशन ठीक उसी तरह हुआ जैसे किसी जानदार दरख्त या इंसान या किसी जानवर की पैदाइश होती है। किसी भी जानदार का पहले एक सेल (Cell ) बनता है फिर वह डिवाइड होकर अपने जैसे और सेल पैदा करता है और इस तरह धीरे धीरे पूरा जिस्म तैयार हो जाता है। 

इसी तरह पूरी कायनात की भी खिलकत हुई है। कहीं कोई धमाका नहीं हुआ। 

इमाम जाफर सादिक़ (अ-) की थ्योरी में एक और खास बात है। जिसके मुताबिक यूनिवर्स एक टाइम पीरियड में फैलता है और दूसरे में सिकुड़ता है। इस तरह बिग बैग वह प्वाइंट हुआ जब यूनिवर्स पूरी तरह सिकुड़ चुका था। उससे पहले कायनात की कोई दूसरी ही शक्ल मौजूद थी। जिसके बारे में सिर्फ अल्लाह को ही इल्म है। इस तरह खिलकत व खात्मे का यह सिलसिला हमेशा चलता रहता है। ऐसी हालत में कायनात की शुरुआत कब हुई यह मालूम करना नामुमकिन है।

कायनात की शुरुआत व खात्मे के इस सिलसिले की बात कुरआन इन अल्फाज में कह रहा है :
(21-104) वह दिन जब कि हम आसमान को यूं लपेट कर रख देंगे जैसे किताब के पन्ने लपेट दिये जाते हैं। जिस तरह हमने पहले खिलकत की शुरुआत की थी उसी तरह हम फिर उसे दोहरायेंगे। ये एक वादा है हमारे जिम्मे और ये काम हमें बहरहाल करना है।
(86-11) क़सम है हटते बढ़ते चलने (Reciprocating) वाले आसमान की।
Allah Knows better!
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